नगर
दिशाश्रेणी ऐतिहासिक
श्रेणी:बी (प्रमुख विरासत स्थल)
ब्लॉक: सिसई
जिला मुख्यालय से दूरी: लगभग 40 किमी
निर्देशांक: 23.109832° उत्तर, 84.786218° पूर्व
नागवंशी राजवंश की विरासत
परिचय
सिसई प्रखंड के नगर गाँव में स्थित, नवरतनगढ़ किला—जिसे स्थानीय रूप से दोयसागढ़ भी कहा जाता है—मध्यकालीन नागवंशी राजवंश का एक प्रतिष्ठित प्रतीक है, जिसने छोटानागपुर पठार के एक बड़े हिस्से पर शासन किया था। राजा दुर्जन शाह द्वारा 1636-1640 ईस्वी के बीच निर्मित, यह किला राजवंश की राजधानी रहा और झारखंड में एक समृद्ध स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में स्थापित है।
स्थान के बारे में
यह पाँच मंज़िला किला, हालाँकि आज आंशिक रूप से धँसा हुआ है (जिसमें चार तल दिखाई देते हैं), मध्ययुगीन अभियांत्रिकी का एक अद्भुत नमूना था। प्रत्येक मंजिल में नौ कमरे थे, और परिसर में रानी का महल, राजकोष, शाही दरबार और जगन्नाथ व दुर्गा मंदिर जैसे मंदिर शामिल हैं। महल से रानी के स्नान कुंड तक एक विशेष सुरंग स्थापत्य कला की उत्कृष्टता का उदाहरण है। किले की बाहरी दीवारें, रक्षक कक्ष और मंदिर के अवशेष मुगल और आदिवासी डिज़ाइन के तालमेल को दर्शाते हैं। आज, इसे 2009 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा राष्ट्रीय धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
महत्व और विशेषताएँ
• पर्यटन महत्व: झारखंड में राजवंशीय वास्तुकला की खोज करने वाले विरासत पर्यटकों, इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव।
• विरासत महत्व: नागवंशी राजाओं के शासन और जीवनशैली पर प्रकाश डालता है; इसमें चूना गारा, लाल लहरी ईंटें और इंडो-मुगल डिज़ाइन जैसे स्थापत्य तत्व शामिल हैं।
• सांस्कृतिक महत्व: किला परिसर शाही अनुष्ठानों, त्योहारों और रणनीतिक शासन का केंद्र था।
फोटो गैलरी
कैसे पहुंचें:
हवाई जहाज द्वारा
नई दिल्ली से रांची या कोलकाता से रांची
ट्रेन द्वारा
नई दिल्ली से रांची या कोलकाता से रांची
सड़क के द्वारा
रांची से नगर, भरनो सिसई होते हुए