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महासदाशिव मंदिर

दिशा
श्रेणी धार्मिक

गुमला जिले के इस सबसे भव्य महासदाशिव मंदिर इसकी ऊँचाई 85 फीट है एवं लगभग 2 एकड़  क्षेत्र में फैला हुआ है. इसकी वास्तुकला मूलत: उत्कल कला संस्कृति से ओतप्रोत है. इस मंदिर में मुख्य आराध्यदेव महासदाशिव के अतिरिक्त 84 अन्य काले पत्थर से बने देवी देवता भी विराजमान हैं. परन्तु इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें मुख्य आराध्यदेव   शिव  अपने अनूठे विराट स्वरुप महासदाशिव के रूप में प्रतिष्ठित हैं.

शिव के महासदाशिव स्वरुप का परिचय:– जैसा कि हमें ज्ञात है सनातन धर्म में 18 पुराण  हैं, इनमें 10 पुराणों में शिव जी का वर्णन है. अन्य धर्मं ग्रंथों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि शिव के 19 अवतारों में  अनगिनत रूप हैं जिसमें  समस्त प्रकार के मानविक गुणों जैसे, हर्ष-विषाद, क्षमा-क्रोध आदि के दर्शन समय-समय पर होते रहे हैं. शिव में 108 नाम हैं मगर कुछ लोग 160 नाम भी मानते हैं.  परन्तु शिव के मुख्यत: तीन स्वरुप हैं—शिव, सदाशिव एवं महासदाशिव. महासदाशिव एक विराट रूप का प्रतीक है जिनके 26 शीश एवं 52 भुजाएं होती हैं. यह दुर्लभ स्वरुप है जो भारत में कुछ ही देवालयों में इसके दर्शन होते हैं. झारखंड में महासदाशिव जी का यह पहला मंदिर है I  हमने अपने इस देवालय में भी इसी आकृति को प्रतिष्ठापित किया है. हमें आशा है कि इस भव्य, विराट स्वरुप के दर्शन मात्र से भक्तजन धन्य हो जायेंगे.

कैसे पहुंचें:

हवाई जहाज द्वारा

New Delhi to Ranchi or Kolkata to Ranchi

ट्रेन द्वारा

New Delhi to Ranchi or Kolkata to Ranchi

सड़क के द्वारा

Ranchi - Gumla - Raidih Road - Marda